five star hotel

एक लाख सितारों वाला होटल

रवि को सुबह की चाय बहुत पसंद है। अगर कोई इसे बिस्तर पर दे जाय फिर तो सोने पर सुहागा है। हम में से बहुत से लोग दिन की यह पहली चाय पसंद करते हैं क्योंकि यह वास्तव में पूरा दिन बना देती है। फाइव-स्टार होटल में एक कप गर्म चाय के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है। बस एक इंच सरको और बिस्तर के पास रखे फोन का उपयोग करो।

दिन की अच्छी शुरुआत के बाद, जैसे-जैसे सूरज आसमान में चढ़ता है, अमोद-प्रमोद और बढ़ता ही जाता है। उस बेमिशाल होटल द्वारा प्रदान की गई सुविधाएं विस्मित कर देती हैं। सुबह के नाश्ते के लिए बेहतरीन शेफ़ का लाजबाब कोर्स! फिर धूप सेंकने और धरती से सैकड़ो फ़ीट की ऊँचाई पर बने पूल में तैराकी का आनंद! यहाँ का हर पल अविस्मरणीय है। यह पृथ्वी पर इतनी अद्भुत जगह है, जैसे स्वर्ग! किसी भी चीज की जरूरत हो, केवल उसे महसूस करना है और होटल के कर्मचारी तो जैसे माइंड रीडिंग के विशेषज्ञ हों। उनकी सेवा अद्भुत है! वे सभी जरूरतों को समझते हैं और सुबह से देर रात तक, चौबीसों घंटे अकल्पनीय विलासिता!

सूर्यास्त के समय, वह बेशकीमती वाइन के साथ रात के खाने की तैयारी कर रहा था, तभी फोन बजने लगा। मुंह का स्वाद कड़वा हो गया। इस फोन को भी अभी आना था। दूसरी ओर की महिला ने मेरे सुखद क्षणों के बीच में हुई असुविधा के लिए क्षमा मांगी। रवि ने थोड़ी सी बात की और जल्दी में खत्म कर दिया “ठीक है माँ! शुभ रात्रि!”

उसने उस शाम का जमकर आनंद लिया। किसी फाइव स्टार लग्जरी होटल में यह उसका पहला अनुभव था।

अगले दिन अपनी प्री-बुकिंग राशि के बाद शेष राशि का भुगतान कर दिया। उसे केवल उस छोटे से कार्ड को स्वाइप करना है, बस! वापस लौटते समय उसे वह जगह बहुत याद आ रही थी। काश वहां फिर से सारी मस्ती करने के लिए होता।

यात्रा अब समाप्ति पर थी। सुबह घर पहुंचते-पहुंचते चाय की महक ने वो सब यादें फिर से ताज़ा करने पर मजबूर कर दिया।

“हां! यह कुछ ऐसा है जिसे मैं याद कर सकता हूं। ऐसा कुछ है जो मुझे पता है! यह मेरा अपना है। क्या यह उस फाइव-स्टार होटल से है? ऐसा लगता तो है। लेकिन यह तो किचन से है… मेरा अपना किचन है। खिड़की खुली है… सुगंध चारों ओर फैल रही है। माँ सुबह की चाय बना रही है। आहा! मुझे सुबह की चाय बहुत पसंद है!” अपने आप से बातें करता हुआ वह घर में घुसा।

“मैं जानती थी!” माँ ने केतली की ओर इशारा किया “इसीलिए मैंने दो कप उबाले”। एक हफ्ते के अकेलेपन के बाद माँ उसे देखकर बहुत खुश हुई।

हाथ में चाय का प्याला लेकर मैंने उसे बताना शुरू किया: वह कितनी शानदार जगह थी। उन्होंने हमारी कैसे सेवा की। माँ ने बीच में टोक कर नाश्ते के बारे में पूछा और उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना वही कहा जो वह सोच रहा था। मेरा पसंदीदा भोजन! वह कुछ ऐसा बनाने जा रही है जिसके बारे में मैं वास्तव में सोच रहा था। यह अद्भुत है! आज तो कुछ अलग ही अनुभूति हो रही है। आज सब कुछ अलग क्यों है? उसने सोचा। क्यों आज का दिन चीजों को कुछ अलग तरह से याद करने के लिए मजबूर कर रहा है? मैं कई सालों से यही तो कर रहा हूं। क्या यह वही नाश्ता है जो उसने उस आलीशान महल में खाया था? नहीं, यह तो बचपन का स्वाद है!

“अच्छा नहीं बना है?” माँ ने पूछा।वह अपने ही विचारों में खोया हुआ था। झिझकते हुए उसने अचानक जल्दी-जल्दी खाना शुरू कर दिया।

“मैं भाग्यशाली हूं कि जिस दिन मैंने पहली बार क्रिकेट खेला और अपनी गेंद से अपने पिता जी का सर फोड़ दिया मेरे लिए उनको खुशी हुई। किसी भी आवश्यकता के लिए माँ-पापा हमेशा तैयार रहते थे। देखभाल करने के लिए एक फरिश्ता हमेशा मेरे आसपास होता है, जो माइंड -रीडिंग में भगवान है, जो मेरे सोचने से पहले सब कुछ जानता है। मेरा घर इस दुनिया का सबसे शानदार जगह है लेकिन मैंने इसे पहले कभी महसूस नहीं किया।’ रवि अपने विचारों में खोया नाश्ता करता रहा। बीच-बीच में माँ की बात पर हामी भी भरता जा रहा था।

नाश्ते के बाद वह अपने दोस्त के घर के लिए निकला। यह जीवन के लिए कुछ गुणा -गणित का समय था। उस दिन उस फाइव-स्टार होटल में एक दिन का कितना भुगतान किया गया? उसने अपने जीवन के दिनों को उस से गुणा करना शुरू कर दिया! यह एक रैखिक गणना नहीं है, लेकिन जैसा कि हम भौतिकी की समस्याओं को हल करने में करते हैं, उसने कई धारणाएं बनाईं। परिणाम चौंकाने वाला था।

“मेरे सिर पर अरबों का कर्ज है। मैंने कभी एक भी बिल का भुगतान नहीं किया। मैं अपनी माँ की मेहनत पर कभी मुस्कुराया नहीं। मैंने उसे अपने अभिनय से कभी खुश नहीं किया।” उसकी आँखें छलक आईं। “मुझे अपना सारा कर्ज चुकाना होगा। यह इतनी बड़ी राशि है। क्या मेरे पास इसे चुकाने के लिए पर्याप्त समय है? मुझे अभी शुरू करना है। मुझे उन चिंताओं से मुक्त होने के लिए सारा कर्ज चुकाना होगा।” रवि पर पश्चाताप का प्रेत सवार था। वह रस्ते से ही घर लौट गया।

डाइनिंग टेबल पर बात होने लगी

“मुझे पहले कभी एहसास नहीं हुआ, हमारा घर कितना अच्छा है …”

“अपनी अगली यात्रा की योजना कब बना रहे हो?” माँ ने मुझे बीच में बीच में रोकते हुए पूछा।

मेरा दिल खुशी से भर गया जो फूट पड़ा “यह लाख-सितारा घर है। माँ! क्या मुझे फाइव-स्टार में जाने की जरूरत है?”

माँ एक फीकी सी हँसी हँस दी! फिर एक उदाशी उसके चेहरे पर फ़ैल गई। कहीं शून्य में देखते हुए उसने धीरे से कहा से कहा “बेटा! मैंने सामान पैक कर लिया है। कब जाना है आश्रम?”

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