silhouette photo of a mother carrying her baby at beach during golden hour

मदर्स डे

Mothers day – मदर्स डे – माँ को सम्मान देने के लिये हर वर्ष मई महीने के दूसरे रविवार को मातृ-दिवस (Mothers Day ) के रुप में मनाया जाता है। इस अवसर पर पढिए मानिनी की अभिव्यक्ति :

आज के दिन को मातृ दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, इस शुभावसर पर आदि शक्ति माँ के नमन के साथ-साथ मेरी जननी,पालिका माँ,मातामही, पितामही ,सासु माँ ,गुरुमाँ तथा वो सभी माताएँ जिनसे मुझे एक पल के लिए भी ममता प्राप्त हुआ है, सबको मेराकोटि- कोटि प्रणाम।
आज इस पावन अवसर पर मेरे मन में एक ख्याल आ रहा है ,मैंने सोचा आप सबके साथ साझा करें।
‎माँ शब्द ही ऐसा होता है कि जिसके स्मरण मात्र से ही मन बच्चों जैसा उछलने लगता है और ये हमारा जो मन है जिसे तीव्रगामी कहा गया है, बहुत ही तीव्रगति से घुटनों के बल माँ की ममता तले भागने लगता है। जब स्मरण मात्र से ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो माँ के स्पर्श की क्या बात करें!
‎हमें माँ अनेक रूपों में प्राप्त होती है,जिस प्रकार मेरी माँ जग जननी नहीं हो सकती, क्योंकि जग जननी सम्पूर्ण विश्व की माँ हैं और मेरी माँ ,सिर्फ मेरी माँ है ,ठीक उसी प्रकार कोई भी माँ ,किसी माँ ,की जगह नहीं ले सकती, सारी माताओं में अगर कोई समानता होती है ,तो सिर्फ और सिर्फ वात्सल्य और ममता की।
‎हमारे समाज में स्त्री हो या पुरुष माँ के हर रूप पर श्रद्धा रखता है पर हमारे स्त्री समाज में, माँ का एक ऐसा भी रूप आदि काल से चलता आ रहा है जो कहीं-कहीं ऐसा लगता है ,यह रिश्ता नहीं अभिशाप है।अधिकांशतः इस रिश्ते में भी सुधार हुआ है और हो भी रहा है ,पर थोड़ा और सुधार और समझ की आवश्यकता है। यह रिश्ता है सासूमाँ और बहू का।
‎जिस प्रकार हम दादी माँ, नानी माँ, मासीमाँ,गुरुमाँ आदि सम्बोधन से अन्य माताओं को बुलाते हैं ठीक उसी प्रकार सासरे में मिलने वाली माँ के लिए सासूमाँ का सम्बोधन प्राप्त है फिर क्या सास बनते ही एक माँ की ममता समाप्त हो जाती है ? क्यों इस रिश्ते को लेकर समाज में इतनी भ्रांतियां होती हैं ? जिस तरह हमें दादी-नानी पोती कहकर पुकारती हैं। ठीक वैसे ही एक सास अपनी पुत्रवधू को सुविधा जनकरूप में बधू(बहू)कहकर पुकारती है। जब सास भी एक माँ होती है फिर इस सास बहू के रिश्ते में इतना मतभेद क्यों है?किसी भी बहू को यह इस बात का स्मरण रखना चाहिए कि एक सास का अस्तित्व है तभी उसका बहू,पत्नी, भाभी और हर स्त्री का सुन्दर सपना माँ के रूप में भी अस्तित्व है आपकी माँ आपको बेटी ,बहन,पोती, बुआ तो बना सकती है पर पत्नी, बहू ,माँ और अन्त में सास नहीं बना सकती यह सौभाग्य आपको सास अस्तित्व से प्राप्त होता है।
‎अब आवश्यकता है सास के गरिमामयी पद को निभा रही माताओं को समझने जिस घर परिवार को एक सास बड़े यत्नों से बनाती है ,उसे एक वक्त के बाद बहू आकर सम्भालने, सजाने, सवारने के साथ आगे भी बढ़ाती है तथा जिस पुत्र को वों जन्म देतीं लाड-प्यार से पालती हैं ,उनकी बहू ही उसका भी अपने अन्तिम सांसों तक देखभाल करती और हर परिस्थितियों में उसका साथ देती है। जब सास से बहू का, बहू से सास का अस्तित्व है तो फिर मनमुटाव क्यों? जरूरत है दोनों पक्षों को सोच बदलने की।एक दूसरे के अस्तित्व और मूल्यों को स्वीकार कर रिश्ते को सुन्दर और मजबूत बनाने की।
‎जिस परिवार में सास-बहू का रिश्ता मधुर होता है उस परिवार की शान्ति कभी भंग नहीं होती है।

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