pitambra mai

पीतांबरा माई के दर्शन

हमारे पूर्वजों से सत्य ही कहा है: दीर्घसूत्री विनश्यति! आलस्य जीवन में बहुत नुकसान पहुंचाता है। मैंने कितनी बार सोचा कि लिखना प्रारंभ करूं लेकिन वो दिन और आज का दिन लगभग एक साल से भी अधिक हो गया, सोचता था कि कल से लिखना प्रारंभ करूंगा लेकिन कल कभी आता ही नहीं इसके लिए भी कबीर दास ने कहा है:

काल करे सो आज कर, आज करें सो अब!
पल में प्रलय होत है, बहुरी करोगे कब!!

मध्य प्रदेश के दतिया जिले से मां पीतांबरा के दर्शन करके लौट रहा हूं तो फिर एक बार लिखने के बारे में मन में विचार आया, तो ऐसा प्रतीत हुआ कि अब तो मां की भी प्रेरणा मिल गई है तो इस विचार को कल पर न टाल कर “शुभस्त शीघ्रम” वाक्य का अनुसरण करते हुए तुरंत लिखना प्रारंभ कर दिया।

पीतांबरा माई का अलौकिक रूप

मां के ५२ शक्ति पीठों में से एक मां पीतांबरा मध्य प्रदेश के दतिया जिले में एक दिव्य, अलौकिक एवम सुरम्य स्थल है। यहां आने पर आपको एक सुखद शांतिकी अनुभूति होगी। अगर आप जयकारा लगाने में हिचकते है तो आपके लिए यह मंदिर सबसे बढ़िया है। क्योंकि पूरे मंदिर परिसर में सूचना या चेतावनी के रूप में लिखा है – “कृपया मंदिर परिसर में जयकारा न लगाए”। मां का ऐसा मनोहारी दरबार है कि देखने के बाद और कुछ देखने को इच्छा ही न हो।

यही पर मां धूमावती का भी मंदिर है। मैं सोचता रहता था कि कोई मंदिर होगा जिसमें नमकीन प्रसाद भी चढ़ता होगा? मेरी यह जिज्ञासा मां धूमावती के मंदिर पर आकर समाप्त हुई। मां धूमावती को नमकीन का ही प्रसाद चढ़ता है। मंदिर में जितनी शांति है उतना शांत शहर भी दिखता है (कुछ लोग कहते है नक्सली इलाका है, लेकिन ऐसा कुछ लगा नहीं)।

रात्रि में ०९:०० बजे चल कर हम अगली सुबह ०६:०० बजे के आस पास दतिया पहुंचे थे। मंदिर के पास ही होटल साईराम में रुके। सुबह सुबह एक बार मां के दर्शन के लिए हम सब निकले। शहर के लोग बड़े की आदर भाव के है। आप उनसे कोई बात या स्थान के बारे में पूछिए तो विस्तृत रूप से उसके बारे में बताते है। यहां सुबह का नाश्ता “पोहा” है, जो अपने में स्वादिष्ट एवम लजीज है। यहां अनाड़ी चाट भंडार भी है, जो केवल नाम का ही अनाड़ी है बाकी स्वाद में बेजोड़ है। शहर से जोड़ने वाली एक विशिष्ट दुकान ‘अवध फास्ट फूड एवम भोजनालय’ इसमें अवध शब्द में ही अपनापन लगा और फिर दोपहर का भोजन हम लोगों ने वही पर किया। खाना बढ़िया है आप भी आइए तो एक बार स्वाद लीजिए। घूमते टहलते शाम हो गई।

रात्रि में ०८:३० पर माता पीतांबरा जी की श्रृंगार आरती और रात्रि ०९:०० बजे शयन आरती उसके बाद प्रसाद वितरण। माता पीतांबरा जी का प्रसाद प्रतिदिन बदल कर रहता है। आज बूंदी का प्रसाद है, प्रसाद प्राप्त कर पुन: वापस आने की इच्छा के साथ हम वहां से प्रस्थान किए।

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