“राष्ट्रीय एकात्मता” एक निश्चित भूभाग पर जाति, धर्म, भाषा व क्षेत्र का भेद होने के बाद भी इन सब चीजों में किसी एक या एक से अधिक बातों से उनमें आपस में समानता की अनुभूति हो एवं निवासियों के मन मस्तिष्क में उपस्थित एकता की भावना ही राष्ट्रीय एकात्मता का आधार है।
इस विषय को मैं भारतवर्ष के कुछ उदाहरणों के माध्यम से बताने का प्रयास करता हूँ। भारतवर्ष में राष्ट्रीय एकात्मता को अनादि काल से वेदों में वर्णित एवं जन सामान्य द्वारा अंगीकृत किया गया है। जैसे:- “वसुधैव कुटुम्बकम्” की संकल्पना वैदिक है और हमारे वैदिक ऋषियों ने समग्र मानवता को एक माना है, सब के कल्याण की कामना की है। भगवान श्रीराम ने अयोध्या से रामेश्वरम तक एकरुपता का संचार करते हुये समाज के शोषित और वंचितों को साथ लेकर अपने विजय अभियान को पूर्ण करते हुये राष्ट्रीय एकात्मता का समझाने का प्रयास किया।
जगतगरु शंकराचार्य तत्कालीन जनमानस में राष्ट्रीय एकात्मता का संचार करने के लिए चार मठ, चार धाम की स्थापना की। ये मठ और धाम देश की चारो दिशाओंं में है। 1857 ई0 की क्रांति भी राष्ट्रीय एकात्मता का अप्रतिम उदाहरण है किस प्रकार से सम्पूर्ण भारत में एक साथ क्रांति करने का विचार रहा।
स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत संविधान का निर्माण किया गया जिसमें देश के सभी वर्गों के सदस्यों का प्रतिनिधित्व था जिससे हम सबको एक वृहद, समदर्शी एवं समावेशी संविधान प्राप्त हुआ जो हम सबकी राष्ट्रीय एकात्मता का अप्रतिम उदाहरण है। स्वतंत्रता के बाद सरदार बल्लभ भाई पटेल जी ने राष्ट्रीय एकात्मता के स्वरूप को बनाने के लिए रियासतों का विलय कराने में महत्तवपूर्ण जिम्मेदारी निभाई।
भारत के आधुनिक कौटिल्य पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय संस्कृति एवं वैदिक ज्ञान से 1965 में एकात्ममानववाद को विस्तार से बताया उन्होने अपनी पुस्तक ‘भारतीय अर्थनीति-विकास की एक दिशा’ में आचार्य चाणक्य के सूत्रों ‘सुखस्य मूलं धर्म:’ एवं ‘धर्मस्य मूलमर्थ:’ को समझाया।
2014 ई0 के आम चुनाव के बाद राष्ट्रीय एकात्मता का वृहद स्वरूप देशवासियों को देखने को मिल रहा है। राष्ट्रीय समर स्मारक या युद्ध स्मारक भारत सरकार द्वारा नई दिल्ली के इंडिया गेट के आसपास के क्षेत्र में अपने सशस्त्र बलों को सम्मानित करने के लिए बनाया गया एक स्मारक है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) बिल, 2019। यह बिल 21 फरवरी, 2019 को जारी अध्यादेश का स्थान लेता है। बिल तलाक कहने को, जिसमें लिखित और इलेक्ट्रॉनिक दोनों रूप शामिल हैं, कानूनी रूप से अमान्य और गैरकानूनी बनाता है।
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया, इस अधिनियम के बनने से जम्मू कश्मीर के लिए दो विधान दो निशान की समाप्ति हुई।
मा0 उच्चतम न्यायालय ने भारतवासियों के आस्था के केंद्र प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान ‘अयोध्या’ पर राम मंदिर के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की।
भारतवर्ष की राष्ट्रीय एकात्मता का मूल है–
सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् भाग् भवेत।