मैं पिछले १० वर्षों से शेयर बाजार (Share Market) में निवेश कर रहा हूँ। अपने अनुभव के आधार पर मैं आपसे कुछ बातें साझा करना चाहूँगा। मेरा विश्वास है कि आप को इनसे जरूर सही मार्गदर्शन मिलेगा। ये बातें शेयर बाजार (Share Market) में हर कही लागू होतीं हैं।
शुरूआती दौर, अज्ञानता और प्रयोग
जब मैंने शुरुआती दौर में शेयर बाजार में निवेश किया था, तब हमें शेयर बाजार का उतना ज्ञान नहीं था। किसी के कहने पर कोई शेयर खरीद लिया, फिर बाजार तेज हुआ और दाम बढ़े तब बेच दिया। सच तो यह है कि हमें सिर्फ इतना पता था की शेयर खरीद लेते हैं और जब उसके दाम बढ़ जाए तो बेच देते हैं। मुझे तो यह तक नहीं पता था कि उसके दाम घटते हैँ या कभी-कभी आश्चर्यजनक रूप से बहुत ज्यादा ही घट जाते हैं। इसके अलावा किसी भी कंपनी का चुनाव कैसे करना है इसका कोई ज्ञान नहीं था।
किसी का सुन लिया या कभी टीवी पर देख लिया तो उसके हिसाब से हम शेयर खरीद लेते थे और उसमें से कुछ के दाम बढ़ जाते थे तो उसे बेच देते थे और जब दाम कम हो जाता था या बहुत कम हो जाता था तब उसे नहीं बेचते थे। इंतजार करते थे कि शायद इस कंपनी के शेयर का दाम फिर बढ़ जाए पर इसी इंतजार में कई शेयर आज भी हमारे पास पड़े हैं। सबसे पहला ज्ञान तो हमें यह मिला कि किसी की कही सुनी बातों पर भरोसा करके आप शेयर बाजार में नुकसान के अलावा कुछ नहीं पा सकते; कुछ फायदा भी हो सकता है और नुकसान भी हो सकता है; मतलब सब कुछ भाग्य पर निर्भर हो जाता है।
निवेश या ट्रेडिंग
जब कई बार नुकसान-फायदा इसके चक्र से गुजरे, तब यह प्रश्न मन में आया है आख़िर में वह क्या कारण हैं जिनसे किसी कंपनी के शेयर के दाम घटते हैं या बढ़ते हैं। तब हमने मार्केट न्यूज़ पढ़ना शुरू किया और पाया कि कहीं ना कहीं उससे चीजें हैं जुड़ी हुई थी; पर वह भी उतना कारगर नहीं था मतलब यह कि कब दाम घट जाएगा कब बढ़ जाएगा इसका सही अनुमान लगाना बहुत मुश्किल था। सच पूछिए तो शुरुआती दौर में हम निवेश नहीं बल्कि ट्रेडिंग करते थे और हमें पता तक नहीं था कि हम वास्तव में कर क्या रहे हैं।
एक बार हमें किसी ने बताया कि लंबे समय तक निवेश करके रखना अच्छा होता है; कई बार किसी शेयर के दाम कुछ दिन के लिए घटते हैं और पुनः बढ़ जाते हैं अर्थात लंबे समय में वह फायदेमंद साबित होते हैं। यहां से हमें दीर्घकालिक निवेश की जानकारी मिली और अपने अनुभव से हमने कुछ देखा भी था। कुछ शेयर हमने खरीदे, उनको तत्कालिक लाभ मिलने पर बेच दिया फिर उसके बाद उनके दाम गिरे और लंबे समय में, जैसे साल डेढ़ साल बाद हमने देखा तो उनके दाम लगभग डेढ़ गुना हो गए थे। हमारा दूसरा चरण था दीर्घकालिक निवेश या हमारे शब्दों में कहें तो सिर्फ निवेश।
मल्टीबैगर (Multibagger)
इसके बाद प्रश्न उठा कि यह कैसे पता करें कि कौन सी कंपनी को ज्यादा समय तक रोक के रख देंगे तो उससे फायदा मिलेगा; क्योंकि आज से 5 साल बाद क्या होगा यह किसको पता है। फिर एक बार लगा कि सब कुछ भाग्य पर ही निर्भर है। कोई नहीं बता सकता कि 5 साल बाद क्या होने वाला है।
कुछ निवेश गुरुओं की सलाह हमने इंटरनेट पर पड़ी और इस विषय पर कुछ किताबें पढ़ने के बाद हमें समझ में आया कि किसी भी शेयर के मूलभूत गुण क्या होते हैं। इसके बाद हमें समझ में आया कि वस्तुतः जो लोग शेयर बाजार से लाभ ही लाभ कमाते हैं वह कैसे कमाते हैं। यहाँ हमें पता चला मल्टीबैगर शेयर के बारे में अर्थात ऐसा शेयर जिसमें अगर आज आप निवेश करते हैं तो 10 साल बाद वह 10 गुना 20 गुना या 50 गुना भी हो सकता है। अब प्रश्न यह था कि ऐसी कंपनी का पता कैसे लगाएं जो आने वाले समय में मल्टीबैगर (Multibagger) हो सकती है?
अंतत: हमें यह समझ में आ गया कि निवेश करना क्या होता है।हमें समझ में आया वह यह कि शेयर बाजार में निवेश करना मतलब समुद्र में नाव लेकर निकल जाना। अगर आपके पास सही जानकारी नहीं है तो आप का डूबना तय है। कुछ किताबें पढ़ने के बाद यह समझ में आया जितना ज्यादा पढ़ सकें, जितनी जानकारी जुटा सकें और जितना ज्यादा बाजार को समझ सके उतना ही कम है। अंतिम निष्कर्ष यही निकला कि जितना आज तक सीखा है, कभी गँवाकर तो कभी कमाकर, उस ज्ञान का उपयोग करते हुए निवेश जारी रखा जाए और आगे भी जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके सीखते रहा जाए क्योंकि ज्ञान का कोई अंत नहीं है।
जिन बातों का ध्यान हमेशा रखना चाहिए वे इस प्रकार हैं:
सुनी-सुनाई हुई बातों पर और टीवी का न्यूज़ देख कर तो कभी भी निवेश नहीं करना चाहिए; अगर आपको इसमें कुछ अतिशयोक्ति लगती है तो आप इस पर बैठकर कभी विचार करिए कि अगर सारे विशेषज्ञ वाकई में विशेषज्ञ होते तो खुद ही अरबपति होते ना कि बैठकर टीवी पर ज्ञान बांट रहे होते। मेरा यही कहना है कि हर आदमी का अपना एक नजरिया होता है, उसके विश्लेषण का एक तरीका होता है और उसकी चीजों के बारे में समझ होती है; तो आप अपनी समझ के आधार पर विश्लेषण करिए और सही से सही कंपनी का पता लगाइए जिसमें निवेश करके आपको ज्यादा लाभ हो।
निवेश को भूल जाइए
जो निवेश आप कर रहे हैं उसको भूल जाइए। भूल जाइए से यहां तात्पर्य यह नहीं है कि आप उसको बिल्कुल ही भूल जाइए। अभिप्राय है कि आप अपने सामान्य खर्चो या दैनिक जरूरतों के बजट में से उसको निकाल दीजिए क्योंकि अगले कितने समय में आपको सही रिटर्न देगा इसकी कोई सीमा नहीं है। अगर अचानक से आपको जरूरत पड़ गई और आपने पैसे निकाल लिए तो हो सकता है कि आपको घाटे में पैसे निकालने पड़ जाए जबकि कुछ दिन बाद वो शेयर आपको भारी मुनाफा देने वाला हो। निष्कर्ष यह है कि लंबे समय के लिए निवेश करिए और निवेश करने के लिए आप अपना बजट इस तरह बनाइए कि उस धनराशि को आप किसी और उद्देश्य के लिए नहीं रखेंगे उसे केवल और केवल शेयर बाजार में ही लगा के रखना है।
जाब भी आप कोई निर्णय लेते हैं तो अपने इमोशंस के आधार पर नहीं बल्कि तार्किक और गणितीय आधार पर लिखिए। किसी शेयर के फंडामेंटल्स कितने अच्छे हैं, कोई कंपनी किस तरह से आगे बढ़ रही है और उसका कितना भविष्य है इस बात को अच्छे से समझिए और तभी उसमें लंबे समय के लिए निवेश कीजिए।
स्वयं में निवेश करें
इस विषय पर बहुत सी किताबें हैं, और कुछ विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं उन्होंने निवेश के बारे में 1000 से अधिक किताबें पढ़ी। निवेश और धन-संपत्ति के बारे में कुछ बेहतरीन किताबें जिन्हे पढ़ने से आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा:
जाहिर सी बात है आप 1 दिन में पूरा नहीं पढ़ लेंगे और ना ही आप सारी किताबें पढ़ने के बाद निवेश करना शुरू करेंगे; लेकिन जो भी जानकारी आप प्राप्त कर रहे हैं उसके आधार पर निवेश करना शुरू कर दीजिए। जो भी पैसा आपके पास है उसको एक साथ कहीं एक जगह नहीं लगाना है बल्कि उसे थोड़ा थोड़ा लगाना है, जिससे कि अगर कहीं गलती हुई हो तो जोखिम कम से कम रहे और ऐसा ना हो सीखना बहुत ज्यादा भारी पड़ जाय।
अपने ज्ञान के आधार पर निवेश थोड़ा-थोड़ा करते रहिए और जो भी गलतियां हो रही हैं, क्योंकि जब तक आप करेंगे नहीं सच में क्या गलती हो रही है वह आपको नहीं पता चलेगा, उन गलतियों को सुधारते हुए आगे का जो निवेश है उसे और बेहतर बनाते जाइए।
कुबेर आर्थिक मामलों पर ज्ञानवर्धक जानकारी सरल एवं रोचक भाषा में प्रस्तुत करते हैं। व्यक्तिगत वित्त का प्रबंधन हो या आर्थिक मामलों का विश्लेषण, उसे सरल रूप में पाठकों तक पहुँचाना इनकी विशेषता हैं।