जैट्रोफा एक पेड़ है जिससे बायो डीजल (Bio Diesel) बनाते हैं। यहाँ हम चर्चा करेंगे की कैसे जैट्रोफा की खेती की जा सकती है और फिर उसका बायो-डीजल (Bio Diesel) बना कर उसे किसी भी इंजन में प्रयोग के लिए बेचा जा सकता है। जैट्रोफा से बना हुआ बायो-डीजल (Bio Diesel) पेट्रोलियम डीजल का एक सस्ता और हरित (Green) विकल्प है।
जैट्रोफा
जेट्रोफा को रतन ज्योति भी कहते है, जो कि यूफोरबीएसी कुल का पौधा है। यह मुख्य रूप से राजस्थान , गुजरात आदि प्रान्तो मे पाया जाता है। यह भारतवर्ष के सभी मैदानी क्षेत्रो में ऊचाई वाले स्थानों में सफलता से उगाया जाता है। इसकी बढवार बहुत तेजी से होती है। इसकी कई अन्य प्रजातियॉ प्राकृतिक दशा में पायी जाती है। लेकिन जेट्रोफा ही तेल उत्पादन के लिए उपयुक्त पाया गया है। यह तेल उत्पादन करने वाला पौधा है जो लगभग ३-४ मीटर ऊँचा होता है और देखने में सजावटी पौधा लगता है।
यह ईधन (बायो डीजल Bio Diesel) के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके पौधे को कोई जानवर नहीं खाता है व इसमें सूखा सहने की क्षमता होती है। इस के बीज में तेल लगभग ३२ से ४० प्रतिशत तक होता है।
जेट्रोफा की खेती प्रायः सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। लेकिन सामान्यतया इसकी खेती कम उपजाऊ, परती भूमि, रेतीली, पथरीली, बलुई व कम गहरे वाली भूमि पर भी की जाती है, जहाँ जल भराव न होता हो।
जेट्रोफा के बीजों से तेल साधारण स्पेलर या डबल वोल्ट स्पेलर द्वारा निकाला जा सकता है। तेल को फिल्टर करने के बाद डीजल द्वारा चालित सभी प्रकार के इंजनों, जैसे ट्रैक्टर जनरेटर सेट व रेल व सभी प्रकार के डीजल वाहन आदि में किया जा सकता है।
जैट्रोफा की खेती
इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सबसे जरुरी और मूलभूत आवश्यकता है जमीन की जहाँ आप जैट्रोफा की खेती कर सकें। जमीन आप की खुद की हो सकती है या आप किसी से किराये पर ले सकते हैं। क्योकि जैट्रोफा ऊसर जमीन पर भी पैदा होता है, इस प्रकार की जमीन सस्ते दर पर किराए पर मिल जाएगी।
खेती के लिए पौधे १.५ मीटर क अंतराल पर लगाए जाने चाहिए। यह फसल वर्षा आधारित है किन्तु वर्षा न होने पर वर्ष भर ४ – ५ सिंचाईयाँ १५-२० दिनों के अन्तराल पर करते रहना चाहिये। फूल व फल आने की स्थिति में पानी देना आवश्यक होता है।
बायो डीजल उत्पादन
बायोडीजल को एक रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से बनाया जाता है। इसे ट्रांसस्टेरिफिकेशन कहा जाता है जिससे ग्लिसरीन वसा या वनस्पति तेल से अलग हो जाता है। प्रक्रिया दो उत्पादों – मिथाइल एस्टर और ग्लिसरीन को सह उत्पाद के रूप में बनाती है। मिथाइल एस्टर बायोडीजल का रासायनिक नाम है।
कुल प्रोजेक्ट की लागत 30 लाख से लेकर 2 करोड़ तक हो सकती है। यह निर्भर करता है कि आप कौन सा प्रोजेक्ट चुनते हैं। बैच विधि से बनाने में लागत कम हो जाती है यद्यपि उत्पादन भी कम हो जाता है। परन्तु शुरुआत के लिए कम पूँजी बहुत महत्वपूर्ण है। जल्दी ही हम आपके लिए विस्तृत लागत और अन्य जानकारी उपलब्द्ध कराएँगे।
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