Hindi Kavita Baghi

बाग़ी

Hindi Kavita Baghi

hindi kavita baghi

बागी हुआ तो क्या
साथी न हुआ अपना

दागी हुआ तो क्या
शागिर्द हुआ न अपना

आखिर क्या वजह रही
उसके खिलाफत की

थी हिमाकत या अलहदा सा था वो अपने ख्यालों का
था मलंग या कर रहा था विषपान रस प्यालों का

जो भी था वो अपनों सा न था
जिन्दा था वो मुर्दों सा न था

बदलाव की है ये पुकार
संघर्ष रहेगा बारम्बार

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