दया
क्या हुआ ? जब एक भूखे भिखारी को घास खाते हुए देख गृहिणी दया भाव से द्रवित हो उठी।
यह “एकता में अनेकता” हमारा अविष्कार है जिसमे हम “एक” होकर भी “अनेकों” बातें कर लेते हैं; पर “अनेक” होकर भी “एक” काम नहीं कर पाते।
राजनेताओं को पहले से ही पता है कि चुनाव अक्ल नहीं बल्कि भैंस के बल पर जीता जाता है, सो उन्होंने इसे ही आराध्य मान लिया है।