भारत

politics speech

मूर्ख बोल कर सोचते हैं, और ज्ञानी…

यह दिवालियापन केवल भाषणों में नहीं है, दरअसल यह प्रतिबिम्ब है हमारे नेताओं की वास्तविक मानसिक स्थिति का, उनकी सोच का और भारत के उस अंधकारमय भविष्य का जो इस सोच के साथ और अंधकारमय होता जा रहा है।

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आज इतने ग़ुस्से में क्यों हूँ?

इस देश में ऐसा क्यों होता है कि जो कुछ अच्छा होता है बाहर चला जाता है? क्यों जो प्रतिभावान हैं वे दुसरे देश मे ही सफल है?

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