मूर्ख बोल कर सोचते हैं, और ज्ञानी…
यह दिवालियापन केवल भाषणों में नहीं है, दरअसल यह प्रतिबिम्ब है हमारे नेताओं की वास्तविक मानसिक स्थिति का, उनकी सोच का और भारत के उस अंधकारमय भविष्य का जो इस सोच के साथ और अंधकारमय होता जा रहा है।
यह दिवालियापन केवल भाषणों में नहीं है, दरअसल यह प्रतिबिम्ब है हमारे नेताओं की वास्तविक मानसिक स्थिति का, उनकी सोच का और भारत के उस अंधकारमय भविष्य का जो इस सोच के साथ और अंधकारमय होता जा रहा है।
सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् भाग् भवेत।
इस देश में ऐसा क्यों होता है कि जो कुछ अच्छा होता है बाहर चला जाता है? क्यों जो प्रतिभावान हैं वे दुसरे देश मे ही सफल है?