सावन महीने का महत्व हिन्दू समाज में बहुत है। पढ़िए सावन महीने के महत्व के बारे में, इसका पौराणिक आख्यान और भगवान शिव से इसका जुड़ाव। कांवड़ यात्रा की धूम सावन महीने में रहती है जो सावन महीने के महत्व को बखूबी दर्शाती है। सावन महीने के हमरे तीज त्यौहार सावन महीने का महत्व और बढ़ा देते हैं। सत्य तो यह यही कि सावन की महिमा का गुणगान शब्दों में नहीं किया जा सकता।
सावन महीने का महत्व क्यों है
सावन शब्द संस्कृत के “श्रावण” से बना सहज रूप है। श्रावण का शाब्दिक अर्थ श्रवण नक्षत्र में जनमा हुआ होता है। हालाँकि इस महीने का नाम श्रावण इस लिए भी रखा गया है क्योंकि इस महीने में सुरुज की आकाशीय स्थिति “श्रवण” नाम के नक्षत्रमंडल में होती हैं। सावन या श्रावण हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का पांचवा महीना है। नेपाली और बंगाली कैलेंडर के हिसाब से ये साल का चौथा महीना है। अंगरेजी के ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से इस महीने की शुरुआत किसी फिक्स डेट पे नहीं होती, हमेशा अलग अलग दिन पे होती हैं। आमतौर पर ये महीना जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ता है। इसे वर्षा ऋतु या बरसात का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इस समय भारत में काफ़ी वर्षा होती है।सावन के महीना धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इस साल सावन का महीना 14 जुलाई से शुरु हो रहा है और इस बार सावन के महीने में चार सोमवार आएंगे। सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है क्योंकि श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है । भोलेनाथ ने खुद कहा है—
द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ: । श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ।।
श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:। यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।।
जिसका अर्थ है मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य/महानता सुनने योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इसके माहात्म्य/ महानता के श्रवण/सुन ने मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है, इसलिए भी यह श्रावण संज्ञा वाला है।
प्रकृति को भी पता है सावन महीने का महत्व
सावन का महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए खुशियों की सौगात लिए आता है। इस महीने में जहा एक तरफ वादियों में हरियाली झूमती है वहा दूसरी तरफ भगवान शिव के भक्त भक्तिभाव में झूमते है। सावन के महीने में भगवान शंकर के मंदिर और शिवालयों में भारी भीड़ उमड़ती है क्युकी इस माह में सोमवार का व्रत और सावन स्नान की परंपरा है। श्रावण मास में बेल पत्र और जल चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा करना अति फलदायी माना गया है। शिव पुराण के अनुसार जो कोई व्यक्ति इस माह में सोमवार का व्रत करता है भगवान शिव उसकी सारी इच्छाएं पूरी करते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव के लाखों भक्त ज्योर्तिलिंग के दर्शन के लिए हरिद्वार, काशी, उज्जैन, नासिक समेत भारत के कई धार्मिक स्थलों पर जाते हैं।
सावन महीने का विशेष महत्व: कावरियों की कांवड़ यात्रा
इस मास में भक्तों के द्वारा कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जाता है। जिसमे लाखों शिव भक्त देवभूमि उत्तराखंड में स्थित शिवनगरी हरिद्वार और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। और इन तीर्थ स्थलों से गंगाजल से भरी कावर को अपने कंधों पर रखकर पैदल लाते हैं और अंत में वह गंगा जल शिवजी को चढ़ाया जाता है। हर साल होने वाली इस यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को कांवरिया कहा जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले तो उन चौदह रत्नों में से एक हलाहल विष भी था, जिससे पूरे संसार के नष्ट होने का भय था। तब सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया पर उसे अपने गले से नीचे नहीं उतरने दिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया और यही उनका नाम नीलकंठ पड़ा। कहते हैं की लंकापति रावण भगवान शिव का सच्चा भक्त था। वह कांवर में गंगाजल लेकर आया और उसने शिवलिंग का अभिषेक किया और तब कही जाकर भगवान शिव को विष से मुक्ति मिली।
सावन महीना, माँ पार्वती और हरियाली तीज
पर सावन मास सिर्फ शिवजी को ही नहीं मां पार्वती को भी समर्पित है।जो भक्त सावन महीने में सच्चे मन से साथ महादेव का व्रत करता है, उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वही विवाहित महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने और अविवाहित महिलाएं अच्छे वर के लिए भी सावन में शिव जी का व्रत रखती हैं।
सावन के महीने का सिर्फ धार्मिक महत्त्व ही नही है बल्कि इसका प्रकृति से भी गहरा संबंध है क्योंकि इस मास में वर्षा ऋतु होने से संपूर्ण धरती बारिश से हरी-भरी हो जाती है। ग्रीष्म ऋतु की तपन के बाद इस माह में बारिश होने से सभी जीव जंतुओं को बड़ी राहत मिलती है। इसके अलावा श्रावण मास में कई पर्व भी मनाए जाते हैं। सावन महीने में मनाये जाने वाले मुख्य हिन्दू त्यौहारों में रक्षाबंधन, नाग पंचमी और हरियाली तीज है। यह महीना मनुष्य, पशु-पक्षी तथा सभी जीव जंतुओं के लिए लिए सबसे खुशहाल मौसम लेकर आता है।
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