BBC पर सवालों की लिस्ट है: मोदी सरकार (Modi Sarkar) से ‘जनता’ पूछ रही है ये 30 सवाल। अन्य साइट्स पर सरकार की उपलब्धियों का जिक्र है। इनके मध्य एक आम नागरिक सरकर के बारे में क्या सोचता है अवश्य पढ़ें।
२०१४ के पहले देश में भ्रष्टाचार अपने चरमोत्कर्ष पर था। जनता हर सुबह एक नए और पहले से बड़े घोटाले को सुन कर सोचती थी, क्या इस रात की भी कोई सुबह होगी। हर तरफ निराशा का माहौल था, प्रत्येक विभाग भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूबे थे।
उस परिस्थिति में देश को अगर किसी से उम्मीद थे तो वो मोदी जी थे। जब भाजपा ने उन्हें प्रधानमंत्री के लिए अपना उम्मीदवार चुना, तो मूर्छा में पड़ी भारतीय जनता और भारतीय जनता पार्टी में ऊर्जा का एक नया संचार हुआ। भारतीय राजनीति में लंबे समय बाद किसी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ। मई २०१४ से लेकर आज तक मोदी जी ने देश की जनता को कभी निराश नहीं किया।
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आज हम सुबह पेपर देखते है तो ये तो निश्चित पता रहता है कुछ भी हो लेकिन पहली खबर घोटाले की तो नहीं होगी। जनता का यह विश्वास और मोदी जी को सरकार द्वारा इस विश्वास को बनाए रखने में किया जाने वाला कार्य अपने आप में उत्कृष्ट और विपक्ष के लिए अकल्पनीय है।
२०१९ के चुनाव में विश्वास-फल के रूप में जनता जनार्दन ने एक बार फिर मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाया। इस बार चुनौतियाँ और भी थी। पर सारे मुद्दे हल होते गए। धारा ३७० हट गई। राम मंदिर बनाने के भी सारे कंटक दूर हो गए। तीन तलाक और नागरिकता संशोधन कानून जैसे विषयों को सुलझाया। सरकार अपने कार्यों से भारतीय जनता में एक नया उत्साह और राष्ट्रवाद का भाव उत्पन्न कररही थी।
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तभी वैश्विक महामारी कोविड-१९ ने दिसंबर २०१९ में धीरे से कदम रखते हुए मार्च २०२० तक भारत में अपना विकराल रूप धर लिया। जनता में घोर निराशा का संचार होना शुरू हुआ। लोगों में डर का माहौल था। लेकिन एक बार फिर से मोदी जी ने जनता को विश्वास दिलाया कि इस बीमारी से हम सब मिलकर लड़ेंगे; और लड़े भी। लॉकडाउन लगाया गया। लोगों को दवा, जरूरत के समान, वितरित किए जाने लगे।
लेकिन समस्या बनी हुई थी। कब तक लॉकडाउन रहेगा? वैक्सीन कैसे बनेगी? अभी तो विदेश में ही वैक्सीन नहीं बनी है, तो हम कैसे बनायेंगे? देश एक बार फिर से घोर निराशा और अवसाद में जाने के स्थिति में आ गया। लेकिन इस बार मोदी जी ने स्वयं आगे आकर समस्त देशवासियों से आह्वान किया। परिणामस्वरूप हमने अपने ही देश में देश के वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से अपनी वैक्सीन बनाई। मिली जुली प्रतिक्रियाओं के बीच अपने देश में वैक्सीनेशन का कार्य शुरू हुआ।
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‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की उक्ति को चरितार्थ करते हुए हमने दूसरे देशों को भी वैक्सीन प्रदान की। देश में युद्धस्तर पर, जन-जन तक, जात-पात का भेदभाव किए बिना, वैक्सीन लगाई जाने लगी। तभी कोरोना की दूसरी लहर ने सबको हिला कर रख दिया। इस बार इसकी चपेट में आने वाले युवाओं की भी मृत्यु होने लगी। मेरे स्वयं के परिजन भी कोराेना से असमय काल के गाल में समा गए। रिश्तेदारों का फोन आता था तो डर लगता था कि आज न जाने किसके बिछुड़ने की खबर मिलेगी।
यह समय बहुत ही कष्टकारी रहा और लोगों में डर व्याप्त हो गया। मोदी जी की सरकार ने फिर भी कार्य बंद नहीं किया। आशा ने अनेक रास्तों को बनाया। चरैवेति-चरैवेति के मंत्र का पालन करते हुए आज हम सब कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को हरा पाए। २१ अक्तूबर २०२१ को पूरे देश में १०० करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीनलग गयी थी।
भारत जैसे देश में १००करोड़ लोगों को वैक्सीन लगना सबके लिए अचरज भरी लेकिन अच्छी खबर है। अब देश में फिर ऊर्जा का नया संचार हुआ है। यह भारतवर्ष के लिए अकल्पनीय था। अभी इसे शत प्रतिशत करना है।
आगे भी हम सब ईश्वर से प्रार्थना करते है कि इस तरह की कोई समस्या देश पर न आए। अगर आती है तो हम सब उसका सामना कर सकें और सभी स्वस्थ रहें। इस भयानक कोरोना संकट में देश का सफल नेतृत्व करते हुए इससे बाहर निकलना सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह स्वयं कई प्रश्नों का उत्तर है।