Monk and Monster Story : क्या राम का अस्तित्व होता अगर रावण नहीं होता? इस प्रश्न का उत्तर देती है यह कहानी।
जगमगाते तारों वाली अंधेरी रात थी। दो परछाइयाँ बिल्कुल मौन चली जा रही थीं। उनमें से एक अचानक रुक गई और एक नरम और विनम्र आवाज ने चुप्पी तोड़ी
“कितनी सुन्दर रात है! है न?”
“क्या?”
“गगन की ओर देखो। सुंदर आकाश, चमकीले तारों से भरा हुआ है। टिटिमाते तारे कितने सुन्दर लग रहे हैं!”
“क्या आप उस पृष्ठभूमि को भी देखते हैं जो सितारों को उज्जवल बनाती है? सच में तो यह अंधेरा है जो सितारों को एक पेंटिंग के रूप में जगमग और सुंदर बनाता है। यह मैं हूं- राक्षस-जो आपके अस्तित्व को उज्जवल बनाता है। अगर अँधेरा न होता तो तारे भी सुंदर न होते।”
वे अपने-अपने पक्ष में तर्क-वितर्क करते हुए नदी की ओर बढ़ते रहे।
“वास्तव में आप एक और चीज़भूल रहे हैं। कैनवस बड़ा है और तारे नगण्य, टिमटिमाते-चमकते-छोटे तारे हैं, देखिए साधु महाराज…” वह जोर से हंसा और अपनी धुन में कहता गया “… तुम मुट्ठी भर हो, जबकि मेरे राज्य का कोई अंत नहीं है।”
“अच्छा! सूरज के बारे में क्या विचार है? यह तुम्हारे पूरे राज्य को नष्ट कर देता है!” साधु मुस्कुरा रहे था।
“लेकिन यह तो आता-जाता है, और यह आपकी विशालता को तो नहीं दिखाता है”
वे एक नदी पर थे जहाँ सूरज अपनी खूबसूरत किरणों से नदी को रंग रहा था।
“देखो राक्षस, भोर देखो! सुंदर मनभावन! ” साधु खुशी से झूम उठे “अब तुम्हे जाना पड़ेगा।”
“तुमने उस छोटे दीपक को तो देखा ही होगा? वह छोटा सा दीपक तुम्हारे राज्य को नष्ट करने के लिए काफी है। उस दीपक की रोशनी से मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे विशाल अँधेरे के साम्राज्य में चल सकता हूँ। लेकिन क्या तुम मेरे साथ इस खूबसूरत रोशनी में चल सकते हो? अँधेरे में उजाला पैदा करना, उजाले में अँधेरा पैदा करने से आसान है। यही हमारे अस्तित्व और इस दुनिया की सुंदरता का रहस्य है।”
सूर्य के तेज के सामने राक्षस धीरे-धीरे गायब हो गया।
श्वेत वामन तीखी अभिव्यक्ति के लिए जाने जाते हैं। यद्यपि कड़वाहट उसके मूल में नहीं होता।