Hindi Kavita Antardwand
रात काफी हो चली है
नींद गायब है
सोचा, कागज-कलम लेकर बैठूं
विचारों को कागज पर उतारूं।
यह क्या?
मन से नहीं फूट रहे थे विचार
फिर राम-राम लिखने लगा
एक पन्ने पर राम-राम, राम-राम लिखता रहा
विचार शून्य था मस्तिष्क
बंद कमरे में आंखें खोज रही थी उन विचारों को जो मन में नहीं फूट रहे थे
दीवार पर टंगी तस्वीरें और उस पर चंदन के माला अतीत को याद दिला रहे थे
उसे निहारता रहा देर तक
सोचता रहा कब बदलेगी सूरत
कब थमेगा मौत का तांडव
कब कोई फरिश्ता आकर कहेगा
बस तुझे करना होगा पश्चाताप तूने किए हैं बहुत सारे पाप
अपने सुख के लिए
धरती पर अत्याचार की तेरी लंबी कहानी है
उसके लिए तुझे दी जा रही सजा
अभी तूझे बहुत कुछ खोना है
जिसे चाहता है बेइंतहा
जो ख्वाब संजोए हैं, उसका अंत होगा
दर्द ऐसा मिलेगा तू भूल नहीं पाएगा
उबरने में पीढ़ियां बीत जाएंगी
इसलिए कहता हूं इंसान सुधर जा,
बदल ले अपनी आदतें
कर ले अपने कर्मों का प्रायश्चित
धरती पर अपने अत्याचार को रोक ले
यह बातें
कब कोई फरिश्ता आकर कहेगा;
डर मत इंसान|
मै करूंगा अदृश्य राक्षसी ताकत का खात्मा…
यह सोचते-सोचते आधी रात हो गई
कलम-कागज रखकर मै
सोने की तैयारी में..
शायद नींद आ जाए
सपने में फरिश्ते से मुलाकात हो जाए।
पवन मिश्र दैनिक जागरण, देवरिया, उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत हैं।
लोक समस्याओं पर गंभीरता से लिखते हैं और उन्हें सार्वजानिक मंच पर उठाते हैं।