ये प्रकृति
ये समंदर की हलचल
ये नदियों की कलकल
कुछ कहना चाहती हैं हम से
ये प्रकृति कुछ कहना चाहती हैं हम से ||
मोचीराम
मोचीराम आधुनिक हिंदी साहित्य में एक मील का पत्थर है। धूमिल जी की यह रचना विद्वता का दम्भ भरने वालों को कभी पची नहीं। पर कविता कोई हाजमोला नहीं जो लोगों को पच जाए। विद्वान उसे बार -बार निगलते हैं पचने का प्रयास करते हैं और उलटी कर देते हैं।…
मदर्स डे
Mothers day – मदर्स डे – माँ को सम्मान देने के लिये हर वर्ष मई महीने के दूसरे रविवार को मातृ-दिवस (Mothers Day ) के रुप में मनाया जाता है। इस अवसर पर पढिए मानिनी की अभिव्यक्ति
शून्य विरुद्ध अनन्त
जलता कोयला क्या कहे राख से…
मैं हूं इक शोला , तू बस खाक है…
ऑनलाइन पैसा कमाने वाला एप्प
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भगवान राम की महिमा
भगवान राम की महिमा अपरम्पार है। सुन्दर कांड के प्रसंग से यह कहानी बड़ी सरलता से भगवन की माहिम को समझा देती है।
एकता में अनेकता
यह “एकता में अनेकता” हमारा अविष्कार है जिसमे हम “एक” होकर भी “अनेकों” बातें कर लेते हैं; पर “अनेक” होकर भी “एक” काम नहीं कर पाते।