Hindi Kavita Baghi
hindi kavita baghi
बागी हुआ तो क्या
साथी न हुआ अपना
दागी हुआ तो क्या
शागिर्द हुआ न अपना
आखिर क्या वजह रही
उसके खिलाफत की
थी हिमाकत या अलहदा सा था वो अपने ख्यालों का
था मलंग या कर रहा था विषपान रस प्यालों का
जो भी था वो अपनों सा न था
जिन्दा था वो मुर्दों सा न था
बदलाव की है ये पुकार
संघर्ष रहेगा बारम्बार
गौरव नयी पीढ़ी के नए कलेवर वाले युवा कवि हैं। इनकी शैली विचारों की आधुनिकता को दर्शाती है।