Hindi Kavita Subah : मानिनी की कविता सुबह के सौंदर्य और उसकी अनुभूति से उत्पन्न गुलाबी भावनाओं का अप्रतिम वर्णन करती है।
आज की सुबह गुलाबी ठण्ड से सजी है,
मंद गति से बढ़ रही धीरे – धीरे।
भरता नहीं आज जी मेरा,
अप्रतिम सौंदर्य को निहार।
अल्लहड़पन भरा यौवन,
विभावरी का प्रथम आलिंगन,
होठों का परस्पर मिलन,
वो चंचल चितवन,
तड़प रहा मन डूबने को बार-बार।
इन नेत्रों के रास्ते,
जाकर बैठी दिल की गहराइयों में,
इन्द्रधनुष सा सात रंग समेटे,
बिखेर रही मंद-मंद मुस्कान।
उत्सुक मन छूने को,
बनना चाहे सोलह श्रृंगार।
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